सीतापुर में किसान संगोष्ठी का आयोजन: कृषि, पशुपालन और खेतों के लिए नई योजनाएं
16 दिसंबर को सीतापुर में वृषक एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने एक महत्वपूर्ण किसान संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र कटिया-सीतापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस आयोजन में किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और कृषि के नए तकनीकी उपायों के बारे में जानकारी दी गई, जिससे उनकी खेती और पशुपालन में सुधार हो सके।
कृषि विज्ञान और पशुपालन की नई योजनाएं
किसान संगोष्ठी में कृषि और पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों को लाभकारी योजनाओं के बारे में बताया। पशुपालन विभाग के डॉ. एस बी यादव ने किसानों को पशुधन बीमा योजना, पशु सहभागिता योजना, पशु क्रेडिट कार्डऔर टीकाकरण टैगिंगजैसी योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सरकार ने बीमार पशुओं के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जिसका टोल फ्री नंबर 1962 है। इस सुविधा से किसानों को अपने पशुओं का इलाज कराना अब और भी आसान हो जाएगा।
इसके साथ ही, किसानों के लिए कृषि ड्रोन का प्रदर्शन किया गया, जिससे उन्हें कृषि में ड्रोन के उपयोग और इसके फायदों के बारे में समझने का अवसर मिला।
आग से बचाव और आपातकालीन उपाय
किसान संगोष्ठी में फायर ब्रिगेडके इंस्पेक्टर ने आग से बचाव के उपायों पर जोर दिया। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे आपातकालीन स्थिति में हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते समय पूरी जानकारी दें, ताकि आग बुझाने वाली टीम को घटनास्थल तक पहुँचने में कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा, उन्होंने गैस सिलेंडर में आग लगाकर उसे बुझाने का प्रदर्शन भी किया और किसानों को आग से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया।
कृषि और पशुपालन के बेहतर संयोजन की आवश्यकता
आकाशवाणी लखनऊ के कृषि विशेषज्ञ विनय शुक्ला ने भी किसानों से बात की और उन्हें समझाया कि पशुपालन और खेतीएक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों का सही तरीके से संयोजन होने पर ही कृषि क्षेत्र में सही दिशा में प्रगति हो सकती है। उन्होंने किसानों से पशुपालन को भी अपनी खेती का हिस्सा बनाने की अपील की।
गेहूं की फसल में ठंड का असर और उसका समाधान
सर्दियों में गेहूं की फसल में ठंड के कारण निचली पत्तियों का पीला होना एक सामान्य समस्या है, जो खासतौर पर उन खेतों में अधिक देखने को मिलती है जहाँ पराली जलाई गई होती है। इस बारे में डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव ने किसानों को समझाया कि ठंड के मौसम में मिट्टी के सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता घट जाती है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व कम मिलते हैं। इसके अलावा, उन्होंने गेहूं की फसल के सही देखभाल के उपायों पर भी प्रकाश डाला।
किसानों को सलाह दी गई कि वे गेहूं की बुवाई अक्टूबर के अंत से लेकर नवंबर के पहले हफ्ते तक करें, ताकि ठंड के प्रभाव से फसल बच सके। इसके अलावा, फसल के लिए सही मात्रा में उर्वरक और सिंचाई के उपायों को अपनाना बेहद आवश्यक है।
गोवंश संरक्षण और पशुपालन
गोवंश सहभागिता योजनाके तहत किसानों को गोवंश का पालन करने के लिए प्रति दिन 50 रुपये की सहायता दी जाती है। इस योजना के माध्यम से किसानों को गौशाला से गोवंश लेकर उनका पालन करने का मौका मिलता है। यह योजना विशेष रूप से दूध उत्पादन करने वाले किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इस योजना का लाभ पाने के लिए किसान को अपने निकटवर्ती पशु चिकित्सालय से आवेदन करना होगा।
रामदाना की खेती से बढ़ेगी आय
किसान संगोष्ठी में एक अन्य अहम जानकारी दी गई, जिसमें रामदानाकी खेती के फायदे पर चर्चा की गई। रामदाना एक पौष्टिक भोजन है, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह खेती कम पानी और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है। किसान रामदाना की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं, साथ ही यह फसल सेहत के लिए भी लाभकारी है।
सीतापुर में आयोजित इस किसान संगोष्ठी ने किसानों को नई योजनाओं और तकनीकी उपायों से अवगत कराया। कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में नए बदलावों को अपनाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और पर्यावरण के अनुकूल खेती कर सकते हैं। इस संगोष्ठी ने यह साबित कर दिया कि किसानों को सही दिशा में मार्गदर्शन और सरकारी योजनाओं का लाभ देकर कृषि को और अधिक सफल बनाया जा सकता है।