हरियाणा: सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश, सरकार ने लिया बड़ा एक्शन

हरियाणा: सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश, सरकार ने लिया बड़ा एक्शन

हरियाणा सरकार का बड़ा कदम: सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की जाएगी कुर्क

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है। यह आदेश फरीदाबाद जिले में हुए 50 करोड़ रुपये के गबन के मामले को लेकर लिया गया है, जिसमें चार सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस फैसले के तहत इन कर्मचारियों की अवैध संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इस कदम का उद्देश्य भ्रष्टाचार को खत्म करने और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

50 करोड़ के गबन मामले में सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी

हरियाणा सरकार द्वारा यह एक्शन फरीदाबाद जिले के हसनपुर स्थित बीडीपीओ कार्यालय में हुई 50 करोड़ रुपये की गबन की घटना के संदर्भ में लिया गया है। आरोपियों में राकेश कुमार लिपिक (डी.डी.पी.ओ., पलवल), शमशेर सिंह (सेवानिवृत्त एस.ओ.), सतपाल (कर्मचारी खजाना अधिकारी, पलवल), और तेजेन्द्र (लेखाकार कार्यालय डी.डी.पी.ओ., पलवल) शामिल हैं।

इन कर्मचारियों पर आरोप है कि इन्होंने सरकारी धन का गबन कर निजी संपत्ति में निवेश किया। अब सरकार ने इनकी संपत्ति को कुर्क करने के आदेश दिए हैं ताकि इनकी अवैध संपत्तियों को जब्त किया जा सके और सार्वजनिक धन की रक्षा की जा सके।

आरोपियों की संपत्ति और उनकी अवैध खरीदारी

आरोपी राकेश कुमार लिपिक ने गबन की राशि में से लगभग 22 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करते हुए अपने परिवार के नाम पर लगभग 20 एकड़ कृषि भूमि खरीदी है। इसके अलावा, शमशेर सिंह ने गबन की राशि से अपनी पत्नी के नाम पर कैथल जिले के कलायत क्षेत्र में 3 एकड़ कृषि भूमि खरीदी, और इस भूमि पर 52 लाख रुपये नकद अदा किए।

शमशेर सिंह ने पंचकूला में भी 7 करोड़ रुपये की राशि से दो प्लॉट खरीदे हैं। दूसरी ओर, आरोपी सतपाल ने उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना में लगभग 70 लाख रुपये में एक प्लॉट खरीदा, जिसमें से 62 लाख रुपये उन्होंने नकद अदा किए।

इस प्रकार, इन सभी आरोपियों ने सरकारी धन का गबन कर उसे अवैध संपत्तियों में निवेश किया है, जिसे अब सरकार द्वारा जब्त किया जाएगा।

सरकार का उद्देश्य और कार्रवाई की दिशा

हरियाणा सरकार का यह कदम स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एक कड़ा संदेश भेजने का है। सरकार का उद्देश्य यह है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अगर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी में शामिल होता है, तो उसकी संपत्ति को जब्त कर उसे जवाबदेह ठहराया जाए। इस प्रकार के कदम से न केवल भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी मजबूत किया जाएगा।

इसके अलावा, यह कदम सरकार की पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

तेजेन्द्र और दीपक की गिरफ्तारी का मामला

गबन के इस मामले में तेजेन्द्र, लेखाकार कार्यालय डी.डी.पी.ओ. पलवल और दीपक (पलवल का निवासी) का नाम भी सामने आया है, लेकिन इन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां प्रयासरत हैं, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन दोनों आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कड़ा कदम उठाकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी भी तरह की गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यह कदम न केवल हरियाणा में भ्रष्टाचार को कम करने की दिशा में है, बल्कि पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करेगा। राज्य सरकार का यह कदम उम्मीद जताता है कि भविष्य में ऐसे मामलों में और सख्त कार्रवाई की जाएगी और भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकेगा।

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