हरियाणा में 1 दिसंबर से लागू होंगे नए कलेक्टर रेट, जानिए कितने बढ़े नए रेट
हरियाणा में अब 1 दिसंबर से नए कलेक्टर रेट लागू होने जा रहे हैं, जो राज्य में जमीनों की रजिस्ट्री को प्रभावित करेंगे। मुख्यमंत्री नायब सैनी के अधीन रेवेन्यू विभाग द्वारा प्रदेश के सभी मंडलों के कमिश्नर और उपायुक्तों को इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। इन नए कलेक्टर रेट्स के लागू होने से जमीनों की रजिस्ट्री में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है। यह बदलाव राज्य के संपत्ति बाजार को प्रभावित करेगा और आम जनता की जेब पर इसका असर पड़ेगा।
कलेक्टर रेट्स क्या हैं और क्यों बढ़ाए जा रहे हैं?
कलेक्टर रेट, जमीन की रजिस्ट्री करते समय निर्धारित किया गया वह दर होती है, जिस पर जमीन की बिक्री और खरीदी की जाती है। यह रेट स्थानीय प्रशासन द्वारा तय किया जाता है और आमतौर पर जमीन की बाजार मूल्य और आसपास के क्षेत्रों की संपत्ति की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
हाल ही में हरियाणा सरकार ने इन रेट्स को बढ़ाने का निर्णय लिया है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एक अहम बदलाव को दर्शाता है। पहले ही विधानसभा चुनाव के कारण मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कलेक्टर रेट बढ़ाने के आदेशों को स्थगित कर दिया था। लेकिन अब जब तीसरी बार बीजेपी की सरकार हरियाणा में बनी है, तो सरकार ने नए कलेक्टर रेट लागू करने का फैसला लिया है।
नए कलेक्टर रेट से क्या बदलाव आएंगे?
नए कलेक्टर रेट्स के लागू होने से हरियाणा के विभिन्न जिलों में संपत्ति की रजिस्ट्री की दरों में 15 से 20 प्रतिशत तक का इजाफा होगा। यह निर्णय राज्य के आर्थिक खजाने को तो मजबूत करेगा, लेकिन आम लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ेगा। खासकर उन लोगों को मुश्किल हो सकती है, जो संपत्ति खरीदने की सोच रहे थे।
इन जिलों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
हरियाणा के कुछ प्रमुख जिलों में कलेक्टर रेट में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया है। इन जिलों में प्रमुख रूप से **रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल, पानीपत** शामिल हैं। इन जिलों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में शामिल किया गया है, और यहां पर लगातार राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जा रहा है। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में कलेक्टर रेट्स को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
इन जिलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और बढ़ती हुई शहरीकरण के चलते संपत्तियों की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इससे पहले इन क्षेत्रों में मार्केट वैल्यू का सर्वे किया गया था, जिसके आधार पर नए कलेक्टर रेट्स तय किए गए हैं।
इस बदलाव से आम आदमी पर पड़ेगा असर
जब कलेक्टर रेट्स बढ़ते हैं, तो संपत्ति की खरीद और बिक्री में अतिरिक्त खर्च आ जाता है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो अपनी जमीन या संपत्ति की रजिस्ट्री करने की योजना बना रहे हैं। बढ़े हुए रेट के कारण, इनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। खासकर, जो लोग छोटे या मंझले स्तर पर संपत्ति खरीदने की सोच रहे थे, उनके लिए यह बढ़ी हुई दरें एक बड़ी चिंता का कारण बन सकती हैं।
हालांकि, सरकार का यह कदम राज्य के खजाने को मजबूत करेगा और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अतिरिक्त फंड जुटाने में मदद करेगा। इससे राज्य में विकास कार्यों को गति मिलेगी, जिससे आने वाले समय में रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
क्या हैं सरकार के कदम?
हरियाणा सरकार ने कलेक्टर रेट बढ़ाने से पहले जिलों में मार्केट वैल्यू का सर्वे करवाया था। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में भी कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रयास किया गया था, लेकिन उस समय सर्वे को प्राथमिकता दी गई थी, ताकि इन दरों को सही तरीके से तय किया जा सके। अब मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में यह प्रक्रिया पूरी की गई और नए कलेक्टर रेट लागू किए गए हैं।
हरियाणा में नए कलेक्टर रेट्स लागू होने से राज्य के संपत्ति बाजार में एक नया बदलाव आने वाला है। जहां एक तरफ यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में मदद करेगा, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी को इसकी वजह से बढ़ी हुई रजिस्ट्री दरों का सामना करना होगा। राज्य सरकार ने इन दरों को बढ़ाने से पहले क्षेत्रीय मार्केट वैल्यू का ध्यान रखा है, ताकि यह कदम समग्र विकास के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों के लिए न्यायसंगत हो।