क्या पत्नी की प्रॉपर्टी में पति का कोई हक है? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
भारतीय कानून में संपत्ति के अधिकारों से जुड़े कई जटिल सवाल सामने आते हैं। खासकर जब बात महिलाओं की संपत्ति, विशेषकर उनके स्त्रीधन की होती है, तो अक्सर यह प्रश्न उठता है कि क्या इस संपत्ति पर पति का कोई अधिकार है? हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जो इस सवाल का स्पष्ट और निर्णायक उत्तर देता है।
स्त्रीधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला का स्त्रीधन उसकी व्यक्तिगत संपत्ति (Property) है, और वह इसे अपनी इच्छा अनुसार खर्च करने का पूरा अधिकार रखती है। यह संपत्ति कभी भी पति के साथ संयुक्त संपत्ति (Joint Property) नहीं बन सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि संकट के समय में पति इस संपत्ति का उपयोग करता है, तो उसे या उसके मूल्य को पत्नी को वापस लौटाना उसकी जिम्मेदारी है।
इस फैसले के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने महिला की संपत्ति के अधिकारों को सुनिश्चित किया और पति के अधिकारों को स्पष्ट रूप से सीमित कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए पति को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी से लिए गए सभी आभूषणों की 25 लाख रुपये की आर्थिक क्षतिपूर्ति अदा करें।
पति ने पत्नी के आभूषण लिए थे
यह मामला एक महिला के दावे से जुड़ा था, जिसमें उसने बताया कि उसकी शादी 2003 में हुई थी और शादी की पहली रात ही उसके पति ने उसके सारे आभूषण उसकी सास के पास सुरक्षित रखने के लिए ले लिए थे। महिला का आरोप था कि उसके पति ने शादी के बाद उसके आभूषण छीन लिए और उसकी वापसी नहीं की। इस मामले में, केरल हाईकोर्ट ने 2022 में एक फैसला सुनाया था, जिसमें यह कहा गया था कि महिला के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के 2011 के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें पत्नी के आभूषणों के मूल्य के रूप में 8.9 लाख रुपये की वसूली का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि, एक नवविवाहित महिला को शादी की पहली रात ही उसके आभूषणों से वंचित कर दिया जाना विश्वसनीय नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लालच एक शक्तिशाली प्रेरक हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति घृणित कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकता है।
क्या यह फैसला महिलाओं के हक में एक बड़ा कदम है?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महिला अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि स्त्रीधन पूरी तरह से महिला का निजी अधिकार है और पति का इस पर कोई हक नहीं हो सकता। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर इस संपत्ति का उपयोग किया जाता है, तो उसे वापस लौटाना पति की जिम्मेदारी है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी माना कि विवाह के मामलों में अक्सर जटिलताएं होती हैं और ऐसे मामलों में मानवीय भावनाओं को समझना जरूरी है। इसलिए, कोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्ते के बारे में निर्णय लेते समय केवल कानूनी दृष्टिकोण के बजाय भावनात्मक पहलुओं को भी ध्यान में रखा।
यह फैसला एक ऐतिहासिक कदम है जो महिलाओं के संपत्ति अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएं अपनी संपत्ति पर पूरी तरह से हक रखती हैं और उन्हें यह अधिकार किसी भी व्यक्ति से छिनने का कोई कारण नहीं है। इस फैसले से न केवल महिलाओं के आत्मसम्मान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह उनके अधिकारों को भी मजबूत करेगा। इस तरह के फैसले समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होते हैं।