हरियाणा में फर्जी SC कास्ट सर्टिफिकेट के सहारे सरकारी JBT टीचर बना जाट समाज का युवक, हुआ बड़ा खुलासा

हरियाणा में फर्जी SC कास्ट सर्टिफिकेट के सहारे सरकारी JBT टीचर बना जाट समाज का युवक, हुआ बड़ा खुलासा

मामला सामने आया जब शिकायतकर्ता ने किया खुलासा

हरियाणा में सरकारी स्कूलों में कार्यरत एक शिक्षक के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है। यह मामला तब खुलासा हुआ जब एक महिला ने इस बात की शिकायत जिला उपायुक्त (DC) के समाधान शिविर में की। महिला ने आरोप लगाया कि फरमाणा गांव के एक स्कूल में कार्यरत शिक्षक सुनील कुमार ने अनुसूचित जाति (SC) का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी में प्रवेश पाया। इस आरोप के बाद जांच शुरू हुई और पाया गया कि सुनील कुमार जाट समुदाय से संबंधित हैं, फिर भी उन्होंने SC सर्टिफिकेट के सहारे सरकारी पद पर 20 साल तक नौकरी की।

आरोप और जांच के बाद हुए चौंकाने वाले खुलासे

शिकायतकर्ता सुनीता शर्मा ने DC के समाधान शिविर में बताया कि सुनील कुमार ने सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए वाल्मीकि जाति का सर्टिफिकेट बनवाया, जबकि वह असल में जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। सुनीता ने आरोप लगाया कि शिक्षक ने सरकारी नौकरी पाने के लिए SC आरक्षण का लाभ उठाया। इसके अलावा, सुनीता ने यह भी बताया कि जब सुनील कुमार ने JBT कोर्स के लिए दाखिला लिया था, तब उसने अपनी जाति के रूप में SC कोड (02) भरा था, जबकि उसे सामान्य श्रेणी (General Category) का कोड भरना चाहिए था। इस प्रकार, उन्होंने जानबूझकर SC कोटे के तहत दाखिला लिया और 25 रुपये की फीस जमा की, जबकि सामान्य श्रेणी में यह फीस 75 रुपये थी।

फर्जी जाति सर्टिफिकेट की पुष्टि

जांच में यह तथ्य सामने आया कि सुनील कुमार ने एसडीएम (SDM) महम के दफ्तर से फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाया था। जब एसडीएम कार्यालय से प्रमाणपत्र की जांच की गई, तो पाया गया कि सुनील जाट समुदाय से ही संबंधित हैं। इसके बावजूद, उन्होंने वाल्मीकि जाति का प्रमाणपत्र बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की थी। यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने आरक्षण का गलत तरीके से लाभ उठाया था।

20 साल तक सरकारी पद पर काम करने का खुलासा

इतना ही नहीं, यह भी सामने आया कि सुनील कुमार ने सरकारी नौकरी में 20 साल तक कार्य किया। इस समय में उन्होंने न केवल नौकरी की बल्कि अन्य कर्मचारियों और विद्यार्थियों से भी विश्वास जीता। अब यह सवाल उठता है कि इतने लंबे समय तक कोई व्यक्ति कैसे ऐसे फर्जी दस्तावेजों के साथ नौकरी कर सकता है, और क्या इस समय में किसी ने उसकी जांच नहीं की?

पुलिस ने दर्ज किया मामला

जांच के बाद जिला उपायुक्त (DC) ने पुलिस को इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। अब पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। सुनील कुमार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और यह मामला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे सरकारी नौकरी में प्रवेश पाते हैं।

शिक्षा व्यवस्था और कानून की खामियां

यह मामला केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी का नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि हमारे शिक्षा और सरकारी प्रणाली में ऐसी खामियां क्यों हैं, जिनका लाभ कुछ लोग अपनी निजी फायदे के लिए उठाते हैं। इस तरह के मामलों से न केवल सरकारी व्यवस्था की छवि धूमिल होती है, बल्कि समाज में असमानता और अन्याय भी फैलता है। ऐसे मामलों में कड़ी सजा और जांच प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति न हो सके।

हरियाणा के इस मामले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण का गलत तरीके से लाभ उठाना एक गंभीर अपराध है। इसके साथ ही यह भी दिखाता है कि कैसे कुछ लोग सरकारी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करते हैं। यह मामला समाज में समानता और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करता है और हम सबको यह याद दिलाता है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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