नौ साल बाद बीकानेर पुलिस ने गिरफ्तार किया जेल से फरार बंदी, हरियाणा में साधु बनकर रह रहा था
बीकानेर में एक ऐसी घटना घटी है, जिससे न केवल पुलिस विभाग को बड़ी राहत मिली है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि कानून किसी न किसी रूप में अपराधियों को पकड़ ही लेता है। बीकानेर की सेंट्रल जेल से नौ साल पहले फरार हुए आरोपी राजेश कुमार जाट को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी बीकानेर पुलिस की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। आरोपी राजेश कुमार जाट पर 10,000 रुपए का इनाम भी था।
राजेश कुमार जाट का नाम पहले से ही अपराधी गतिविधियों में शामिल रहा है। 2005 में उसने बीकानेर के पास मण्डावर क्षेत्र में एक युवक की हत्या कर उसकी कार लूट ली थी। इस हत्या और कार लूट के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था, और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 397 (लूट) के तहत मामला दर्ज हुआ था। न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद वह बीकानेर सेंट्रल जेल में सजा काट रहा था।
राजेश कुमार जाट को 2015 में पैरोल पर रिहा किया गया था, लेकिन निर्धारित समय पर वह वापस जेल नहीं लौटा। इसके बाद बीकानेर पुलिस ने उसके खिलाफ पैरोल से फरार होने का मामला दर्ज किया। इस समय से लेकर अब तक पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था। इसके बाद पुलिस को एक इनपुट मिला कि वह अब हरियाणा में साधु बनकर रह रहा है।
राजेश कुमार जाट ने अपनी फरारी के दौरान अपनी पहचान बदल ली थी और हरियाणा के भिवानी जिले के सतनाली स्थित प्रभातनाथ आश्रम में साधु बनकर रहने लगा था। उसने अपना नाम सज्जननाथ रख लिया था और पूरी तरह से एक साधु के रूप में अपना जीवन जीने की कोशिश की थी। इस दौरान उसने पूरी तरह से अपनी पहचान को बदल लिया था और किसी को भी शक नहीं होने दिया था। लेकिन बीकानेर पुलिस की टीम ने सूचनाओं के आधार पर उसकी तलाश की और एसटीएफ सतनाली (हरियाणा) के सहयोग से उसे गिरफ्तार कर लिया।
बीकानेर पुलिस को जब इस बारे में इनपुट मिला कि आरोपी हरियाणा में साधु बनकर रह रहा है, तो उन्होंने अपनी रणनीति को तुरंत बदलते हुए हरियाणा पुलिस के सहयोग से उसे गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई बीकानेर सेंट्रल जेल अधीक्षक के निर्देशन में की गई, जिसमें बीकानेर पुलिस की पूरी टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अब, आरोपी राजेश कुमार जाट को बीकानेर लाया गया है और उसे न्यायालय में पेश किया जाएगा। अदालत उसे फिर से सजा दिलवाने के लिए कार्यवाही करेगी। इस गिरफ्तारी से न केवल बीकानेर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि फरारी के बावजूद अपराधी पूरी तरह से कानून से बच नहीं सकते।
बीकानेर पुलिस ने जो काम किया है, वह अन्य पुलिस विभागों के लिए एक उदाहरण है। राजेश कुमार जाट के जैसे फरार आरोपी आखिरकार कानून के शिकंजे में आ ही गए। यह घटना यह दर्शाती है कि यदि पुलिस सही दिशा में काम करती है और मेहनत करती है, तो अपराधियों को पकड़ने में देर नहीं लगती। इसके साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि कोई भी अपराधी अपनी पहचान बदलकर छुप सकता है, लेकिन कानून के हाथ लंबे होते हैं और अंततः अपराधी को पकड़ ही लिया जाता है।