बजट 2025: पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म होने पर कितना नुकसान होगा? बड़ा ऐलान हो सकता है

बजट 2025: पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म होने पर कितना नुकसान होगा? बड़ा ऐलान हो सकता है

भारत में वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट एक बार फिर से सुर्खियों में है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को बजट पेश करेंगी और इससे पहले सोशल मीडिया और वित्तीय जगत में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या इस बार सरकार पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म कर सकती है। यदि ऐसा होता है, तो आम लोगों को इससे कितना नुकसान होगा और इसके बाद क्या बदलाव हो सकते हैं, आइए जानते हैं।

क्या पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म होगी?

इस साल के बजट में वित्त मंत्री द्वारा एक अहम ऐलान किया जा सकता है, जिसमें आयकर अधिनियम 1961 को बदलकर “डायरेक्ट टैक्स कोड 2025” लागू करने की बात हो सकती है। अगर यह बदलाव होता है, तो धीरे-धीरे पुरानी टैक्स व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है। इससे पहले, वित्त वर्ष 2023-24 में आंकड़ों के अनुसार, लगभग 72% करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को अपनाया था। यह बदलाव इस बात को दर्शाता है कि नई कर व्यवस्था में कई करदाता संतुष्ट हैं, लेकिन पुरानी व्यवस्था में भी कई फायदे हैं, जिन्हें लोग छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

पुरानी टैक्स व्यवस्था के फायदे

क्या पुरानी व्यवस्था ज्यादा फायदेमंद है?

अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये के बीच है, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है। पुरानी व्यवस्था में करदाता को कई प्रकार की छूट और लाभ मिलते हैं, जैसे कि:

– धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की बचत पर कर छूट मिलती है।
– धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर छूट मिलती है।
– मानक कटौती के तहत 50,000 रुपये तक की छूट मिलती है।

इसके अलावा, होम लोन और अन्य छूटों के जरिए 10 से 12 लाख रुपये तक की आय पर 0% कर देनदारी का फायदा भी मिल सकता है। इसका मतलब है कि पुरानी व्यवस्था के तहत बहुत से लोग टैक्स में बचत कर सकते हैं, खासकर वे जो लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं और विभिन्न कर छूटों का लाभ उठाते हैं।

डायरेक्ट टैक्स कोड से क्या बदलाव होंगे?

मध्यम वर्ग को मिलेगा फायदा

अगर डायरेक्ट टैक्स कोड 2025 लागू होता है, तो इससे सबसे अधिक फायदा मध्यम वर्ग के करदाताओं को हो सकता है। विशेष रूप से उन लोगों को, जिनकी सालाना आय 5 लाख से 15 लाख रुपये के बीच है। डायरेक्ट टैक्स कोड के अंतर्गत आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही, इसमें कई ऐसे सुधार हो सकते हैं जो टैक्स प्रणाली को ज्यादा प्रभावी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाएंगे।

इसके अलावा, डायरेक्ट टैक्स कोड के लागू होने से करदाताओं के लिए टैक्स भरने और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया भी अधिक सुविधाजनक हो सकती है। इससे कई टैक्सपेयर्स को राहत मिल सकती है, जो अब तक जटिल प्रक्रियाओं से गुजर रहे थे।
टैक्स प्रणाली में सादगी

डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत टैक्स का सरलीकरण, करदाताओं के लिए ज्यादा स्पष्टता और बिना किसी जटिलता के कर व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। यह आम नागरिकों और व्यापारियों के लिए टैक्स भरने की प्रक्रिया को बहुत ही सरल और समझने में आसान बना सकता है।

क्या पुरानी टैक्स व्यवस्था से होने वाले नुकसान को भरा जा सकता है?

पुरानी टैक्स व्यवस्था के खत्म होने से अगर कुछ नुकसान होगा तो वह मुख्य रूप से उन करदाताओं को होगा जो विभिन्न छूटों और कटौतियों का लाभ उठा रहे थे। नए टैक्स कोड में यदि इन छूटों को हटा दिया जाता है, तो ऐसे लोग जिनकी आय सीमित है और जो निवेशों और बचत के जरिए कर बचाते थे, उन्हें टैक्स देने में अधिक बोझ महसूस हो सकता है।

हालांकि, डायरेक्ट टैक्स कोड का उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना है और छोटे-मोटे करदाताओं के लिए राहत प्रदान करना है। इस तरह की प्रणाली से हर वर्ग के लिए टैक्स व्यवस्था को ज्यादा सुविधाजनक और पारदर्शी बनाया जा सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किया जाने वाला बजट 2025-26 भारतीय टैक्स प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आ सकता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म करके नई डायरेक्ट टैक्स कोड को लागू करने से छोटे और मध्यम वर्ग के करदाताओं को फायदा हो सकता है, लेकिन जिन करदाताओं को पुरानी व्यवस्था में कई लाभ मिल रहे थे, उन्हें थोड़ा नुकसान महसूस हो सकता है। जैसे-जैसे इस बदलाव के बारे में और अधिक जानकारी सामने आएगी, लोगों को इसके प्रभाव का अंदाजा बेहतर तरीके से हो पाएगा।

Leave a Comment

Floating WhatsApp Button WhatsApp Icon