डीएसपी रामकुमार: किसान आंदोलन के बीच उनका विशेष संदेश और प्रयास

डीएसपी रामकुमार: किसान आंदोलन के बीच उनका विशेष संदेश और प्रयास

किसान आंदोलन के दौरान पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रविवार को फिर एक बार किसानों ने दिल्ली कूच की योजना बनाई। हालांकि, इस बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें दिल्ली जाने से रोकने में सफलता पाई। इस दौरान शाहाबाद के डीएसपी रामकुमार का एक बयान और उनके प्रयासों ने खास ध्यान खींचा। डीएसपी रामकुमार ने किसानों के प्रति न केवल सहानुभूति दिखाई, बल्कि शांति और समझौते का मार्ग अपनाते हुए अपनी बात रखी।

किसान आंदोलन: दिल्ली कूच की कोशिश

रविवार को किसानों का एक जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने के लिए निकला था। किसानों की संख्या काफी अधिक थी और उनका उद्देश्य दिल्ली पहुंचकर अपने मुद्दों पर सरकार से बातचीत करना था। जैसे ही किसान बैरिकेडिंग के पास पहुंचे, हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक लिया और दिल्ली जाने की अनुमति के लिए एक लिस्ट दिखाई, जिसमें 101 किसानों के नाम थे। पुलिस का कहना था कि जिन किसानों के नाम लिस्ट में हैं, वे अपना आईडी कार्ड दिखाकर आगे बढ़ सकते हैं।

डीएसपी रामकुमार की पहल: शांति की अपील

पुलिस की अग्रिम पंक्ति में शाहाबाद के डीएसपी रामकुमार थे। उन्होंने लगातार किसानों से संवाद किया और उन्हें शांति से बैठने और लंगर लेकर वहीं रुकने का सुझाव दिया। डीएसपी रामकुमार की एक विशेष बात यह थी कि वे किसानों के बीच जाकर उन्हें समझाते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कभी फूलों की वर्षा की तो कभी सतनाम वाहेगुरू का जाप करके माहौल को हल्का करने की कोशिश की। इसके अलावा, उन्होंने मीडिया से बात करते हुए यह स्पष्ट किया कि वे शहीद होने के लिए पुलिस सेवा में नहीं आए हैं।

“हम शहीद होने के लिए नहीं आए हैं”: डीएसपी रामकुमार का स्पष्ट बयान

डीएसपी रामकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे एक किसान के बेटे हैं और पुलिस में सेवा देने के बावजूद उनका उद्देश्य शहीद होने का नहीं है। उन्होंने कहा कि “हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएं, और हमारे साथी हमारे परिवार की तरह हैं। अगर कोई हमारे परिवार पर हमला करता है, तो हम क्या करेंगे?” उनका यह संदेश था कि किसान और पुलिस दोनों ही उनके लिए परिवार की तरह हैं और दोनों के बीच शांतिपूर्ण संवाद होना चाहिए।

डीएसपी रामकुमार ने आगे कहा कि वे चाहते हैं कि किसी भी मुद्दे का समाधान शांतिपूर्वक निकले, बिना किसी संघर्ष के। उन्होंने किसानों से यह भी कहा कि वे संघर्ष न करें, क्योंकि बल प्रयोग की स्थिति से बचने के लिए दोनों पक्षों को सहयोग करना होगा। इसके लिए उन्होंने पुलिस बल के लिए भी अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य की बात की।

पुलिस का शांतिपूर्ण प्रयास: चाय, बिस्कुट और फूलों की वर्षा

जब किसान बैरिकेडिंग तक पहुंचे और पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, तो पुलिस ने बाद में किसानों को चाय और बिस्कुट दिए और उनके सामने हाथ जोड़े। यह एक शांति प्रक्रिया थी, जिसमें पुलिस ने अपनी सहानुभूति और सहयोग का संकेत दिया। इसके बाद पुलिस ने फूलों की वर्षा की, लेकिन किसानों ने आरोप लगाया कि उन फूलों में केमिकल मिलाया गया था, जिससे कई किसानों की तबीयत खराब हो गई।

डीएसपी रामकुमार का यह बयान और उनका शांति बनाए रखने का प्रयास निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने यह साबित किया कि पुलिस बल सिर्फ कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि लोगों के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान निकालने के लिए भी तत्पर रहता है। उनके इस दृष्टिकोण ने किसान और पुलिस दोनों के बीच एक सकारात्मक संवाद को बढ़ावा दिया।

किसान आंदोलन के बीच इस तरह की पहल और शांति प्रयास बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह ना केवल विरोध का स्वरूप बदलते हैं, बल्कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास भी स्थापित करते हैं। डीएसपी रामकुमार ने एक संदेश दिया कि हमें शांति और समझौते के रास्ते पर चलना चाहिए, ताकि किसी भी संघर्ष से बचा जा सके।

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