हरियाणा में फर्जी डिग्रियां बेचने का खुलासा: CM फ्लाइंग की रेड में सामने आई कई चौंकाने वाली जानकारियां

हरियाणा में फर्जी डिग्रियां बेचने का खुलासा: CM फ्लाइंग की रेड में सामने आई कई चौंकाने वाली जानकारियां

हरियाणा के सिरसा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां एक फर्जी डिग्री बेचने वाले प्राइवेट इंस्टीट्यूट का खुलासा हुआ है। इस पूरे मामले में एक आरोपी, सीताराम, जो पिछले 5 सालों से सिरसा में यह फर्जीवाड़ा चला रहा था, को लेकर अब पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। इस खुलासे के बाद यह सवाल उठने लगा है कि कैसे फर्जी डिग्रियों के जरिए हजारों लोगों को ठगा गया और क्या इन फर्जी डिग्रियों से कोई व्यक्ति सरकारी या निजी संस्थाओं में नौकरी पा चुका है।

सीताराम का फर्जी डिग्री कारोबार

मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपी सीताराम सिरसा जिले के एक फोटोस्टेट की दुकान पर काम करता था, जहां उसे फर्जी डिग्रियां बनाने की कला सीखी थी। उसने करीब 8 अलग-अलग यूनिवर्सिटियों की डिग्रियां बेचना शुरू किया था। इन डिग्रियों में LLB और इंजीनियरिंग जैसी महत्वपूर्ण डिग्रियां भी शामिल थीं। सीताराम ने LLB की डिग्री का रेट 65 हजार रुपये और इंजीनियरिंग की डिग्री का रेट 50 से 60 हजार रुपये रखा था। इस फर्जी डिग्री कारोबार के जरिए वह हजारों युवाओं को धोखा दे चुका था।

CM फ्लाइंग की रेड: खुलासा हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा

इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब सीएम फ्लाइंग टीम ने सिरसा के द्वारकापुरी क्षेत्र स्थित साई इंस्टीट्यूट पर छापा मारा। इस रेड में कई विश्वविद्यालयों के फर्जी डिग्रियां और प्रमाणपत्र बरामद हुए। जानकारी के अनुसार, ये डिग्रियां और प्रमाणपत्र विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल की थीं।

इंस्टीट्यूट से माइग्रेशन सर्टिफिकेट, डिग्रियां और सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल की मोहरें भी बरामद हुईं। इसके अलावा, संस्थान में बैठी 4 लड़कियों ने खुलासा किया कि वे फोन के जरिए डील करती थीं और यह डील 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक होती थी। डिग्रियां एक हफ्ते में तैयार कर दी जाती थीं, और इस प्रक्रिया में कई यूनिवर्सिटी और बोर्ड के डिग्री मिमोरण्डम (DMC) शामिल थे।

फर्जीवाड़े के गहरे कनेक्शन का खुलासा

सीएम फ्लाइंग टीम ने इस फर्जी इंस्टीट्यूट से फर्जी डिग्रियां छापने का सामान भी बरामद किया। इसके अलावा, संस्थान में मौजूद दस्तावेजों से पता चला कि इस फर्जी नेटवर्क में कई नामी संस्थान भी शामिल थे। साईं इंस्टीट्यूट के संचालक ने श्री साई आईटीआई, श्री साई पैरामेडिकल और श्री साई जॉब कंसल्टेंट जैसे नामों से भी संस्थाएं बनाई थीं, जो फर्जी डिग्रियां देने का काम करती थीं।

इस छापेमारी के दौरान टीम ने कई महत्वपूर्ण सबूतों को जब्त किया और पूरी जांच की प्रक्रिया को तेज कर दिया। पुलिस का मानना है कि सीताराम ने ये फर्जी डिग्रियां कहां से छपवाईं और कितने लोगों को यह डिग्रियां बेचीं, इसका खुलासा जल्द ही किया जाएगा। इसके अलावा, पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि जिन लोगों के पास ये फर्जी डिग्रियां हैं, वे अब कहां और किस प्रकार की सेवाएं दे रहे हैं।

क्या फर्जी डिग्रियां पाने वाले लोग पदों पर हैं तैनात?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों ने सीताराम के संस्थान से फर्जी डिग्रियां प्राप्त की हैं, क्या वे सरकारी या निजी संस्थानों में नौकरी पाने में सफल हुए हैं? क्या उन्होंने इन फर्जी डिग्रियों के आधार पर किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति प्राप्त की है? पुलिस और प्रशासन इस मामले की गहरी जांच कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फर्जी डिग्रियों के आधार पर किसी ने कानून के खिलाफ कोई लाभ नहीं उठाया हो।

यह पूरा मामला हरियाणा में शिक्षा और रोजगार के नाम पर चल रहे बड़े फर्जीवाड़े को उजागर करता है। सिरसा में हुआ यह खुलासा सिर्फ एक छोटे से मामले का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है। पुलिस और प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार के अपराधों को जल्द से जल्द रोका जाए और दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े ना हो सकें।

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