सिरसा: नशा प्रभावित जिलों में पहले स्थान पर, पंजाब और राजस्थान बॉर्डर से होती है बड़ी तस्करी
हरियाणा का सिरसा जिला नशे के मामलों में प्रदेश का सबसे प्रभावित जिला बन चुका है। यह जिला पंजाब और राजस्थान की सीमाओं से सटा हुआ है, जहां से नशे की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। सिरसा का 73 किलोमीटर क्षेत्र राजस्थान और 90 किलोमीटर पंजाब बॉर्डर से जुड़ा हुआ है, और यह सीमा नशे की तस्करी के लिए प्रमुख रास्ता बन चुकी है। सिरसा में नशे के कारण युवाओं में ओवरडोज़ की घटनाएं और मौतें तेजी से बढ़ रही हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।
नशे की तस्करी का प्रमुख कारण
राजस्थान से सिरसा में डोडा पोस्त और अफीम की तस्करी की जाती है, जबकि पंजाब से चिट्टे की आपूर्ति हो रही है। यह तस्करी विशेष रूप से सिरसा के सीमावर्ती इलाकों में बहुत ज्यादा सक्रिय है। नशे के बढ़ते प्रचलन के कारण गांवों और शहरी इलाकों में युवाओं के बीच नशे की आदतें बढ़ रही हैं, और यह समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है।
सिरसा के नशा प्रभावित इलाके
सिरसा जिले में कई ऐसे इलाके हैं, जो नशे के गढ़ बन चुके हैं। इनमें से प्रमुख स्थानों में शहर की कॉलोनियां जैसे:
– जे.जे. कॉलोनी, चतरगढ़ पट्टी, श्मशाबाद पट्टी
– सेक्टर 19 हाउसिंग बोर्ड, बेगू रोड, कंगनपुर रोड
इन इलाकों में महिलाएं और युवा नशे की आपूर्ति और तस्करी में शामिल होते हैं। पुलिस द्वारा कई बार अभियान चलाए गए हैं, लेकिन तस्करी पर नियंत्रण पाना अभी भी कठिन साबित हो रहा है। इसके अलावा, रोड़ी और कालांवाली जैसे क्षेत्र भी नशे के बड़े केंद्र बन चुके हैं।
तस्करी की बढ़ती समस्या
रोड़ी के सुरतिया रोड पर स्थित बस्ती नशे की तस्करी का मुख्य केंद्र बन चुका है। यहां चिट्टा पंजाब से आता है, और तस्करी के रोकथाम के लिए पुलिस ने 16 गांवों में सात नाके लगाए हैं, लेकिन तस्करी का सिलसिला अब भी जारी है। कालांवाली में भी नशे की तस्करी काफी व्यापक हो गई है। यहां के ग्रामीण इलाके जैसे सिंगपुरा, देसूमलकाना, और तख्तमल तस्करी के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं। शहरी क्षेत्रों में भी नशे की सप्लाई होती है, जिसमें दादू रोड, वाटर वर्क्स रोड, और हुडा सेक्टर 3 शामिल हैं।
पुलिस की कार्रवाई और तस्करों की गिरफ्तारी
सिरसा पुलिस ने मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ कई महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। अगस्त 2023 से अगस्त 2024 के बीच पुलिस ने मादक पदार्थ तस्करी में 538 लोगों को गिरफ्तार किया। इस दौरान 41 किलो 760 ग्राम अफीम, 4755 किलोग्राम डोडा पोस्त, 5 किलो 532 ग्राम हेरोइन, और 8300 से ज्यादा नशीली गोलियां जब्त की गईं। इसके अलावा, पुलिस ने 47 बड़े नशा तस्करों को गिरफ्तार किया और उनकी संपत्तियों पर कार्रवाई की।
नशे से हो रही मौतें
सिरसा में नशे के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी चिंता का विषय बन चुकी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल सिरसा जिले में नशे के कारण करीब 30 मौतें होती हैं, जबकि असल संख्या 100 के करीब मानी जाती है। कई परिवारों द्वारा पुलिस को सूचित नहीं किए जाने के कारण वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक नहीं हो पाते हैं। यह स्थिति न केवल युवाओं के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि पूरे जिले के लिए एक बड़ी सामाजिक समस्या बन चुकी है।
सिरसा को नशा मुक्त बनाने की दिशा में प्रयास
सिरसा जिले को नशा मुक्त बनाने के लिए पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने कई प्रयास किए हैं। अब तक 134 गांवों और 8 वार्डों को नशा मुक्त घोषित किया जा चुका है। इसके बावजूद, पंजाब और राजस्थान से हो रही तस्करी पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पुलिस और प्रशासन की ओर से लगातार जागरूकता अभियान और निगरानी बढ़ाई जा रही है, लेकिन सीमा से होने वाली तस्करी को पूरी तरह रोक पाना मुश्किल है।
सिरसा में बढ़ती नशे की तस्करी और नशे के मामलों में निरंतर वृद्धि एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। हालांकि, पुलिस और प्रशासन की ओर से इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी पर काबू पाना कठिन साबित हो रहा है। सिरसा को नशा मुक्त बनाने के लिए नागरिकों और प्रशासन को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि इस बढ़ती समस्या से निपटा जा सके और युवाओं को नशे के जाल में फंसने से बचाया जा सके।