हरियाणा में पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई, 30 अधिकारियों पर दर्ज होंगे आपराधिक मामले

हरियाणा में पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई, 30 अधिकारियों पर दर्ज होंगे आपराधिक मामले

हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को देखते हुए, पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार ने कृषि विभाग की टीम को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह पराली जलाने की घटनाओं को रोकें, लेकिन इसके बावजूद हर जिले से पराली जलाने के मामले सामने आते रहे। अब इस गंभीर समस्या को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और 30 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की सिफारिश की है।

30 अधिकारियों पर दर्ज होंगे आपराधिक मामले

हरियाणा में पराली जलाने के मामलों की रोकथाम में विफल रहने पर 30 अधिकारियों पर आपराधिक मामले दर्ज होंगे। यह मामला सीएक्यूएम (Central Pollution Control Board) की धारा 14 के तहत दर्ज किया जाएगा, जो गैर संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। अगर इन अधिकारियों को दोषी पाया जाता है तो उन्हें पांच साल तक की सजा हो सकती है, साथ ही एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।

अब तक इस मामले में कुल 580 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, 725 चालान किए गए हैं और 1218 किसानों के दस्तावेजों में रेड एंट्री की गई है। इसके अलावा, 12 नोडल अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जबकि 4 अन्य अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

धान की पराली जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण

धान की पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जो न केवल हरियाणा बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सैटेलाइट रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में उत्तर भारत के 709 स्थानों पर पराली जलाए जाने की जानकारी मिली है। इसमें सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश (286), उत्तर प्रदेश (373), पंजाब (22), राजस्थान (10) और हरियाणा (17) से आए हैं।

किसानों द्वारा फर्जी दावा

इसके अलावा, प्रदेश में धान की सीधी बिजाई (Direct Seeded Rice) के नाम पर सरकार से प्रोत्साहन राशि मांगने वाले किसानों का दावा भी गलत साबित हुआ है। कृषि विभाग द्वारा की गई भौतिक सत्यापन प्रक्रिया में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। राज्य सरकार ने कृषि विभाग के पोर्टल पर धान की सीधी बिजाई के नाम पर पांच लाख छह हजार 814 एकड़ में पंजीकरण कराया था, लेकिन जांच में पाया गया कि 69 प्रतिशत किसानों ने गलत दावा किया था।

पिछले साल इस योजना के तहत एक लाख 75 हजार 933 एकड़ में धान की बुआई करने वाले किसानों को 70 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई थी। इस बार, सरकार ने एक लाख 56 हजार 891 एकड़ में धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये देने का निर्णय लिया था।

पराली जलाने की रोकथाम के लिए आगे की योजना

हरियाणा सरकार का यह निर्णय प्रदूषण को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषि विभाग ने पराली जलाने को लेकर कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन इसमें और भी सुधार की आवश्यकता है। सरकार की योजना है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए और अधिक प्रोत्साहन दिया जाए, साथ ही कृषि विभाग की निगरानी प्रणाली को भी और मजबूत किया जाए।

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि पराली जलाने की रोकथाम के लिए पूरे प्रदेश में जागरूकता अभियानों को तेज किया जाएगा और कृषि विभाग द्वारा किसानों को वैकल्पिक उपायों के बारे में बताया जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार को उम्मीद है कि किसानों को अधिक प्रोत्साहन राशि देकर इस समस्या पर काबू पाया जा सकेगा।

पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण हरियाणा सरकार ने अब इसे गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। किसानों द्वारा की गई धोखाधड़ी और पराली जलाने के मामलों में बढ़ोत्तरी ने सरकार को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया। अब यह देखना होगा कि सरकार के ये कड़े कदम प्रदूषण की समस्या को हल करने में कितने प्रभावी साबित होते हैं।

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